देखते रहे सिविल अधिकारी और सुरक्षा करते रहे सुरक्षा एजेंसी फिर भी चोरी हो गए 26 सौ आवास
वर्तमान में 12 सौ बचे हैं आवाज
बैतूल। मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के आला अधिकारियों ने विद्युत नगरी सारनी को उजाडऩे में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ा है।जनप्रतिनिधि भी इस मामले में किसी भी तरह के पीछे नहीं रहे लेकिन विद्युत नगरी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने में मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के सिविल और सुरक्षा विभाग का महत्वपूर्ण योगदान होना बताया जा रहा है।वर्ष 1990 में मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी में पाच हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे और लगभग 38 सौ आवास थे लेकिन वर्तमान समय में केवल 12 सौ आवास बचे हुए हैं जबकि 1040 कर्मचारी अधिकारी मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी में काम कर रहे हैं।सुरक्षा व्यवस्था के लिए राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल के अलावा सुरक्षा विभाग के आला अधिकारी भी तैनात किए गए थे लेकिन सिविल विभाग के अधिकारियों के नाक के नीचे आवास की पूरी की पूरी कालोनियां चोरी हो गई और सुरक्षा विभाग राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल केवल गस्ती लगाते रहा गई।इसे भी आश्चर्य की बात तो यह है कि मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी और कॉलोनी की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हो सके इस उद्देश्य राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल को प्रतिवर्ष दो करोड़ 40 लाख रुपये का भुगतान मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी बटालियन पर खर्च कर रही है।उसके बाद भी 26 सौ आवास चोरी हो जाना मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के सिविल विभाग सुरक्षा और राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
सारनी को उजाडऩे में मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के अधिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान
विद्युत नगरी सारनी में किसी समय पर कर्मचारी अधिकारी निवास करने के लिए लंबी कतार लगा करती थी।जिसे देखते हुए मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के अधिकारियों के माध्यम से सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों की ग्रेजुएटी 100 प्रतिशत रोका लिया करते थे जिसकी वजह से कर्मचारी शहर को छोडऩा शुरू कर दिया और अब स्थिति उजाड़ सी हो गई है।जानकारों का कहना है कि पहले मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के कर्मचारियों की ग्रेच्युटी 20 प्रतिशत रोककर 80 प्रतिशत उन्हें दे दी जाती थी और उसके अलावा जिस आवास में सेवानिवृत्त कर्मचारी रहा करते थे उनसे मामूली किराया लिया जाता था लेकिन किराया 4 गुना महंगा करने और ग्रेजुएटी का पूरा 100 प्रतिशत पैसा रोक लेने के कारण सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी भी अब शहर को छोड़ कर जा चुके हैं और जो बचे हैं वह जाने की तैयारी कर रहे हैं,बताया जाता है कि एक जुलाई 2022 से लेकर 30 जुलाई 2023 तक 155 कर्मचारी अपने कार्य से सेवानिवृत्त हो जाएंगे ऐसी स्थिति में वर्तमान समय में 1040 कर्मचारी अधिकारी हैं। आने वाले समय में यह आंकड़ा 890 के आसपास रह जाएगा ऐसी स्थिति में अधिकारियों के माध्यम से ही विद्युत नगरी सारनी को उजाडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। यदि अभी भी ग्रेजुएटी की राशि पूर्व की भांति 80 प्रतिशत सेवानिवृत्त कर्मचारी को देख कर 20 प्रतिशत कर आवास का एक निर्धारित किराया लिया जाए तो सारनी को उजडऩे से बचाया जा सकता है। 

ग्रेजुएटी को लेकर विधायक ऊर्जा मंत्री को लिख चुके हैं पत्र
आमला विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ योगेश के माध्यम से प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की ग्रेविटी पूर्व की भांति 80 प्रतिशत जारी करके 20 प्रतिशत रोकने की पहल कर चुके हैं।लेकिन अभी तक प्रदेश सरकार की तरफ से कोई भी सकारात्मक प्रस्ताव जारी नहीं किया गया है यदि इस पर प्रदेश सरकार का ऊर्जा विभाग अमल करें तो सेवानिवृत्त होकर बाहर जाने वाले विद्युत कर्मचारियों को सारनी में रोका जा सकता है।जिससे 155 कर्मचारी शहर में निवास कर सकेंगे। 
