विश्व आदिवासी दिवस पर लहराया एकता का परचम

शाहपुर में आदिवासियों ने निकाली भव्य रैली

बैतूल। समस्त आदिवासी समाज संगठन शाहपुर के बैनर तले आकाश, युवा आदिवासी विकास संगठन, जयस के नेतृत्व में शाहपुर ब्लॉक में विश्व आदिवासी दिवस हर्षोलास के साथ मनाया गया। इस मौके पर
तहसील ग्राउंड से भव्य रैली निकाली गई, जो नगर भ्रमण करते हुये स्टाप क्वाटर पहुंची। यहां अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इसके बाद रैली पंचायत मंगल भवन पहुंची, जहां  कार्यक्रम आयोजित कर पड़ापेन काला बाबा की सुमरनी की गई। रैली में आदिवासी समाज की आकर्षक झांकी, लोक नृत्य, एकता और शक्ति प्रदर्शन की झलक दिखी। कार्यक्रम में मुख्यातिथि पूर्व डिप्टी कमिश्नर बुंदेलसिंग परते, आकास अध्यक्ष रामदास परते, फिल्म जंगल सत्याग्रह निर्माण निर्देशक संस्थापक युवा आदिवासी विकास संगठन मप्र प्रदीप उइके, जिला उपाध्यक्ष समस्त आदिवासी समाज संगठन राजा धुर्वे, धनराज परते, बरातीलाल उइके, मानकलाल उइके, रुपेश धुर्वे, रामस्वरूप उइके, रमेश इवने, जयस प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश धुर्वे, सुरेंद्र टेकाम, स्मिता उइके, कविता उइके, सुनीता धुर्वे मौजूद रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.शेरूसिंग उइके, पीसी बारस्कर ने की।
हल्दी चावल, पीले गमछे से किया स्वागत
कार्यक्रम में मौजूद मुख्यातिथि, शासकीय कर्मचारियों एवं नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का हल्दी चावल, पीले गमछे से स्वागत किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिथि बुंदेलसिंग परते ने अनेक मुद्दों पर प्रकाश डालते हुये कहा सब की दवा एक एकता, शिक्षा, व्यवसाय, पैसा, और ताकत। प्रदीप उइके ने कहा शिक्षा शेरनी का दूध है, जितना पिओगे  उतना दहाड़ोंगे, 9 अगस्त आदिवासियों की समस्या जानने का स्वरूप है, जो संयुक्त राष्ट्र तक अपनी बात पहुँचा सके, जो कमेटी 1982 में गठित हुई थी,1994 से निरंतर 193 देशो में ये कार्यक्रम सक्रियता से होता आ रहा है। राजमल दरश्यामकर ने वन अधिकार अधिनियम पर प्रकाश डाला और कहा आदिवासी के अधिकारों को ताक पर रख उनका शोषण हो रहा है। इस पर अंकुश लगना चाहिए। राजा चंद्रशेखर धुर्वे ने कहा जिला आदिवासी बाहुल्य है। 5वी अनुसूची धरातल पर जल्द लागू हुआ नहीं तो परिणाम 2023 में हम देंगे।
महिलाओं पर अत्याचार, शोषण का बड़ा ग्राफ
कार्यक्रम में मानकलाल उइके ने कहा बेरोजगारी पर अंकुश स्वरोजगार से संभव। श्रीराम दरश्यामकर ने कहा कोरकू बोली को भाषा में परिवर्तन करने शब्द कोष तैयार किया जा रहा है। रामपाल तूमड़ाम ने कहा वर्तमान में विकराल रूप धारण करते हुये आदिवासी युवतियों के साथ गैर आदिवासी विवाह कर आरक्षण का फायदा और जमीन खरीद रहे है, उन महिलाओं के जाती प्रमाण पत्र निरस्त होने चाहिए। अंकुश कवड़े ने कहा कि 1946 से निरंतर गोंडी बोली को भाषा बनाने लड़ाई लड़ रहे है, परन्तु कोई नेता ध्यान नहीं दे रहा है। धनराज परते ने कहा पूरे मध्यप्रदेश के राजवाड़े हमारे थे। आज हम सबसे पिछड़े है। विनीता दरश्यामकर ने कहा महिलाओं पर अत्याचार शोषण का ग्राफ बड़ा है। हमारी सुरक्षा हमें स्वयं करनी होंगी, उसके लिए सजगता जरूरी है।
आज भी आदिवासी अंधविश्वास पर टिका
 मुकेश धुर्वे ने कहा कि संगीत एक प्रेम है, जितना पाओगे उतना आनंद आएगा। संकेत भलावी ने कहा आदिवासी संस्कृति पर हमें गर्व है। चंदू उइके ने कहा रोजगार के साधन ,व्यापार करने पर जोर दिया।रामदास परते ने कहा आदिवासी आज भी अंधविश्वास पर ज्यादा टिका है, उससे बचना चाहिए। शिरीष इवने ने संविधान पड़ने की बात कही। रमेश इवने ने पर्यावरण संजोने की बात कही। सुरेंद्र टेकाम ने आरटीआई के फायदे गिनवाये। लक्ष्मण धुर्वे ने खर्च कम करने गांव में जितने भी विवाह होते है उन्हें एक साथ विवाह करने की सलाह दी। अजय पन्द्राम ने बड़े-छोटो के मान सम्मान से समाज का सार्वजनिक विकास संभव की बात कही। कार्यक्रम में अभिषेक उइके, पप्पू उइके, मिथलेश उइके, संकेत भलावी, राजेश इवने, अंकुश उइके, सानू उइके, अजय इवने, संदीप धुर्वे, अजयपाल उइके, ब्रिजेश परते, राहुल मर्सकोले, रोहित धुर्वे, ललित उइके, संजय कुमरे, प्रीतम उईके, जसवंत धुर्वे, धीरन धुर्वे, अजय पांड्रे, अनिकेत उइके, मनीष जावलकर, अजय पंद्राम, बृजेश परते, संजय कुमरे सुनील धुर्वे उपस्थित रहे।

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