खालवा में कुपोषण पर करोड़ों खर्च कर रही शासन। फ़िर भी मानपुरा में तीन बच्चे कुपोषित मिले
राहुल नायक/ खंडवा। (Government spending crores on malnutrition in Khalwa. Still three children found malnourished in Manpura) आदिवासी खालवा ब्लाक में शासन करोड़ों खर्च के बावजूद नही हो रहा कुपोषण का अंत। खालवा महिला बाल विकास विभाग व एनजीओ प्रायवेट संस्थाएं कुपोषण पर सालाना करोड़ों रुपए खर्च कर रही सरकार । जिसके बाद भी अधिकांश आंगनवाड़ियों में आज भी कुपोषित बच्चे आशानी से मील रहे। शिवराज मामा खालवा में कब देंगे ध्यान। कई वर्षो से चल रहा कुपोषण आपके करोड़ों रुपए कहा जा रहे पता करो मामा,मानपुरा के आदिवासी ग्रामीण जनों ने कहा सरकार व हमारे मामा शिवराज सिंह तो कई योजना देते है पर जिले के उच्च अधिकारी उस योजना का लाभ नहीं देते। हमारे हक का आया हुआ पोषण आहार हमे नहीं दिया जाता।
खालवा मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर एक छोटे से आदिवासी ग्राम मानपुरा में तीन कुपोषित बच्चे हैं जिसमें से एक बालीका अतिकुपोषित है। झाड़ फूंक के चलते मासूम बच्ची को चाचवे के निशान भी लगाए गए। मानपुरा गांव के एक छोटे से मकान में अपने दादा दादी के पास जिंदगी और मौत से जूझ रही नन्हीं सी परी 2 वर्षीय पिता बब्लू जो कि 2 वर्षो से दूध चाय पी कर जी रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका द्वारा एक बार उपचार के लिए खालवा भर्ती भी कर दिया था जिससे बच्ची के शरीर में परिवर्तन भी आ चुका था । मां बाप की गरीबी स्थिती के चलते मां बाप बच्ची को दादा सिताराम वह दादी के पास छोड़ मिर्ची तोड़ने मजदूरी करने खरगोन जिले चलें गए। दादा दादी कुपोषित बच्ची को अपने साथ खेत खलिहानों में लेजाते है। जिसके चलते बालिका को सही पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है।इस संबंध में जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीशा ने बताया कि हमारे द्वारा कई बार इनके दादा दादी को बालिका को उपचार के लिए पहुंचाने के लिए कहा लेकिन हमेशा की तरह जाने से मना कर दिया जाता है कि हम अकेले हैं और खेत में भी काम रहता है तो अस्पताल में कौन रहेगा।
समूह के द्वारा आगनवाड़ी के बच्चो को पोषण युक्त भोजन नही दिया जाता।
खंडवा जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ शरद हरने ने कहा आगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, व स्वयं सहायता समूह चला रही साहिका एवं समाज के जागरूक नागरिकों मिलकर कुपोषण को खत्म किया जा सकता है समाज का महत्वपूर्ण योगदान मां गर्भवती होते ही समय-समय पर जांच कराएं पोषण आहार लें ताकि बच्चा कुपोषित जन्म ना ले और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, साहिका को निर्देशित भी किया गया है कि मा गर्भवती होते ही समय समय पर जांच करे व पोषण आहार दे
परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग नेहा यादव खालवा का कहना है कि बालिका जन्म से मानसिक रूप से विकलांग व कुपोषित हैं उसे दो बार एनआरसी में भर्ती किया जा चुका है यदि बच्ची के साथ दादी जा रही है तो कल ही भर्ती कराया जाएगा।