बैतूल।(Team of youth returned after trekking) सहासिक गतिविधि अंतर्गत बोथी बारहलिंग चिचढ़ाना सराढ तक पर्यावरण संरक्षण तीर्थ स्थल की साफ-सफाई, प्राकृतिक सौन्दर्य का अवलोकन कर सतपुड़ा बारहलिंग ट्रकर्स का दल वापस बैतूल लौटा। 40 लोगों के दल को जेएच कॉलेज की पूर्व प्राचार्या प्रो.उषा द्विवेदी ने हरी झंडी दिखाकर विदा किया। स्थानीय प्रशासन, दक्षिण वन मंडल और एनएसएस के जिला संगठक डॉ.सुखदेव डोंगरे का विशेष सहयोग रहा। ताप्ती नदी के किनारे बारह लिंग स्थान पर प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही यह एक धार्मिक स्थान भी है। विकास मुनि दीक्षित ने बताया कि यहां पर बारह ज्योति लिंग चट्टान के उपर एक ही चट्टान पर बने से हैं।
ऐसा बताया जाता है कि महात्मा गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान एक रात्रि यहां पर विश्राम किया था। अमित अवस्थी व सुशील जैसवाल ने बताया कि पंडित भवानी प्रसाद मिश्र ने सतपुड़ा के घने जंगल उंघते अनमने जंगल प्रसिद्ध कविता इसी स्थान से प्रेरित होकर लिखी थी। संत गेवीदास की तपो भूमि भी यह स्थान रहा है। रमेश भूमरकर ने बताया कि बारहलिंग धार्मिक स्थल पर परमपूज्य मौनी बाबा की तपो भूमि हैं। बाबा के आश्रम में पूरे देश से श्रद्धालु आतें हैं। युवा टे्रकर्स ने अपने अनुभव साझा किए।