सैकड़ों दुर्घटनाओं के बाद भी प्रशासन नहीं ले रहा सबक, लेड़दा घाट की अब तक नहीं हो सकी कटिंग

आरोप-प्रशासन की अनदेखी के चलते मृतक के बच्चे हो रहे अनाथ, महिलाओं का उजड़ रहा सुहाग।

बैतूल। (Even after hundreds of accidents, the administration is not taking lessons, the cutting of Ledda Ghat could not be done till now Social worker Rajesh Sariam appealed to the administration to protect the marriage of women on Karva Chauth Due to the neglect of the administration, the children of the deceased are becoming orphans, the marriage of women is being ruined) बैतूल-आशापुर के लेड़दा घाट सेक्शन में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को लेकर समाजसेवी राजेश सरियाम ने घाट कटिंग करने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि घाट कटिंग के लिए ग्राम पंचायत से प्रस्ताव लिया गया था। वन विभाग द्वारा अनुमति देने के बावजूद आज तक घाट कटिंग नहीं की गई। खतरनाक अंधे मोड़ के कारण इस जगह सैकड़ों वाहन चालक काल के गाल में समा गए। इतनी दुर्घटना होने के बावजूद प्रशासन ने सबक नहीं लिया है। कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में उन्होंने बताया कि भीमपुर विकासखण्ड के लेड़दा घाट में प्रति माह भीषण दुर्घटनाएं होती है, माह में कई बार ट्रक ड्राईवर हादसे का शिकार होकर मौत के मुह मे समा जाते है। अनहोनी घटना के कारण कई सुहागनों का सुहाग उजड़ जाता है, पूर्व में लेड़दा घाट कटिंग के लिए ज्ञापन दिए गए लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिसके कारण कई महिलाए विधवा हो गई कई बच्चे अनाथ हो गए और कई बुजुर्ग माता-पिता ने अपने बेटे को खो दिया। करवा चौथ का निर्जल उपवास महिलाए अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती है ताकि उनके पति की लम्बी उम्र हो उन महिलाओ के पति जो ट्रक, बस एवं जीप ड्रायवर हैं जिनकी लेडदा घाट के कारण कभी दुर्घटना हो सकती है उनकी सलामती एवं परिवार की सलामति के लिए तत्काल लेड़दा घाट कंटिंग कराई जाये।
पंचायत के प्रस्ताव पर शीघ्र लिया जाए निर्णय
राजेश सरियाम ने कहा फोरलेन के निर्माण में हजारो की संख्या में वृक्ष काटे गये लेकिन मात्र ग्राम पंचायत पाठ के प्रस्ताव पर वन मंडला अधिकारी की अनुमति से सड़क निर्माण हेतु घाट कंटिंग की जा सकती है जो पंचायत की नियामवली में है। उन्होंने मांग की है कि ग्राम पंचायत के सरपंच / सचिव एवं वन मंडला अधिकारी से संपर्क कर नियमों के आधार पर घाट कटिंग शीघ्र की जाए।
सैकड़ों ग्रामीणों ने वर्ष 2017 में मुंह काला कर निकाली थी आक्रोश रैली
गौरतलब है कि लेड़दा घाट कटिंग की मांग वर्षो पुरानी है। 15 अगस्त 2017 को सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रशासन का ध्यान आकर्षण करने के लिए अपना मुंह काला कर लेड़दा घाट से नांदा तक पदयात्रा की थी। वही लगभग 3:00 साल पहले घाट कटिंग को लेकर आंदोलन किया गया था। इसके बावजूद भी प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की। जबकि वन और पुलिस विभाग ने यहां पर कटिंग करने और अंधे मोड़ के सांकेतिक बोर्ड लगाने का आश्वासन दिया था। घाट कटिंग के लिए उन्होंने पश्चिम वन मंडल अधिकारी से अनुमति मांगी थी। वन मंडल अधिकारी के अनुसार उन्होंने ग्राम सभा पाट में घाट कटिंग के लिए सरपंच-सचिव, पंच एवं ग्रामीणों से प्रस्ताव लिया था। यह प्रस्ताव उन्होंने वन विभाग मंत्रालय को भी सौंप दिया था। लेकिन वन विभाग से अनुमति मिलने के बाद भी प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। नतीजा दुर्घटना में मृतक के बच्चे अनाथ हो रहे, महिलाओं का सुहाग उजड़ रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बनकर बैठा है। उस दौर में जनप्रतिनिधियों ने भी आश्वासन देते हुए कहा था कि इस मुद्दे को वह विधानसभा में प्रमुखता से उठाएंगे और इस समस्या का निराकरण करने का पूरा प्रयास करेंगे, लेकिन मामला अब भी ठंडे बस्ते में है

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