ऊर्जा मंत्री के नाम प्रभारी सीएमओ को सौंपा ज्ञापन

लंबे समय से बिजली की समस्या के निराकरण  की जा रही है मांग

सारनी। कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा के वार्ड क्रमांक 20 के पार्षद सुखदेव वामनकर एवं नगर वासियों के माध्यम से ऊर्जा मंत्री के नाम नगर पालिका परिषद सारनी के स्वास्थ्य निरीक्षक एवं प्रभारी सीएमओ को सोमवार को ज्ञापन सौंपकर सुभाष नगर वार्ड क्रमांक 22 में बिजली की व्यवस्था किए जाने की मांग की गई है।नगर पालिका परिषद सारनी के सभापति सुखदेव वामनकर ने बताया कि पाथाखेड़ा क्षेत्र का सबसे बड़ा वार्ड है यहां पर 23 सौ मतदाता है और लगभग 108 से अधिक वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड पाथाखेड़ा के कर्मचारी निवास करते है इस वार्ड में झुग्गी झोपड़ी ज्यादा होने की वजह से मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के वितरण विभाग के माध्यम से झुग्गी बस्ती में बिजली की व्यवस्था नहीं की गई है जिसकी वजह से झुग्गी वासियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वार्ड पार्षद सुखदेव वामनकर ने बताया कि इस वार्ड में 30 वर्ष से अधिक समय तक वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड पाथाखेड़ा के माध्यम से बिजली की आपूर्ति करने का कार्य किया जाता रहा था। लेकिन पिछले 6 माह से झुग्गी बस्ती वार्ड में बिजली आपूर्ति बाधित कर दी गई है गर्मी में झुग्गी बस्ती में रहने वाले गरीब लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।उन्होंने बताया कि इसके पूर्व में भी नगर पालिका परिषद में ज्ञापन देकर वार्ड में बिजली की व्यवस्था करने की मांग की गई है उन्होंने बताया कि नगरपालिका के माध्यम से वार्ड में बिजली वितरण को लेकर तैयारियां की जा रही है लेकिन क्षेत्र के वार्डों में कब तक बिजली आएगी इसको लेकर नगर पालिका परिषद स्पष्ट नहीं है जिसकी वजह से झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।उन्होंने बताया कि यदि एक से डेढ़ माह के भीतर वार्ड में बिजली की व्यवस्था नहीं हुई तो नगर पालिका परिषद के मुख्य द्वार पर उन के माध्यम से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे और यह तब तक होगी जब तक के सुभाष नगर वार्ड क्रमांक 22 की झुग्गी बस्तियों में बिजली नहीं पहुंचा उन्होंने बताया कि आधा दर्जन से अधिक बार जनप्रतिनिधि मुख्य नगरपालिका अधिकारी और नपाध्यक्ष के नाम ज्ञापन देने का कार्य किया जा चुका है।लेकिन अब सुभाष नगर वार्ड क्रमांक 22 के लोगों के सब्र का बांध टूट दिखाई दे रहा है ऐसे में वार्ड वासियों के सामने आंदोलन किए जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प दिखाई नहीं दे रहा है।

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